यहां हम आपको बता रहे हैं कि फ्लैट/मकान खरीदने से पहले आप किन बातों पर रखें नजर

प्रॉपर्टी की कीमत:- सबसे पहले आपको घर खरीदने के लिए एक बजट तैयार करना चाहिए. अगर आपको पता है कि आप घर खरीदने पर कितनी रकम खर्च कर सकते हैं तो घर चुनना आसान हो जाता है.इसके बाद आस-पास के इलाके में मौजूद प्रॉपर्टी से अपनी संपत्ति की तुलना करें. इससे आपको पता लग जायेगा कि बिल्डर ने आपको सही कीमत बताई है या नहीं. अब ऐसे बहुत से साधन हैं जिनसे आप संपत्ति कीमत की तुलना कर सकते हैं. प्रॉपर्टी की ऑनलाइन साइट, इलाके के प्रॉपर्टी डीलर और न्यूजपेपर में छपने वाले विज्ञापन से आप उस इलाके में संपत्ति की कीमत का अनुमान लगा सकते हैं.

 

फ्लैट का कारपेट एरिया:- आम तौर पर जब आप किसी प्रॉपर्टी का विज्ञापन देखते हैं तो उसमें सुपर बिल्ट अप एरिया लिखा जाता है. इसमें शाफ्ट, एलीवेटर स्पेस, सीढियां, दीवार की मोटाई जैसी चीजें भी शामिल होती है. अगर आप इसके हिसाब से अनुमान लगाएंगे तो फ्लैट देखने पर आप मायूस होंगे, क्योंकि वास्तव में आपका कारपेट एरिया कम निकलेगा.बिल्ट अप एरिया की तुलना में कारपेट एरिया 30 फीसदी तक कम होता है. आम तौर पर जब एक फ्लोर पर दो फ्लैट होते हैं तो कॉमन स्पेस की जगह भी दोनों में बराबर बंट जाती है.

 

लैंड रिकॉर्ड:- जिस जमीन पर आपका मकान बना है, वह बहुत महत्वपूर्ण है. आपको उस जमीन की मिट्टी के बारे में पता होना चाहिए. इसके साथ ही वजह जमीन हर तरह के सरकारी बकाये से मुक्त होनी चाहिए और रजिस्टर्ड होनी चाहिए.घर खरीदने से पहले आपको टाइटल डीड जरूर देखना चाहिए और उसे वेरीफाई करना चाहिए. इस डीड में जमीन के मालिकाना हक आदि के बारे में विस्तृत जानकारी होती है.

 

प्रॉपर्टी की कानूनी जानकारी:- आपको प्रॉपर्टी खरीदने से पहले यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जिस जमीन पर यह बनी है, वह कानूनी झंझट से मुक्त हो. आप यह पता करें कि क्या डेवलपर को सभी मंजूरी मिल गयी है? इसमें रजिस्ट्रार, इलाके की डेवलपमेंट अथॉरिटी, जल आपूर्ति, विद्युत बोर्ड और नगर निगम आदि शामिल हैं. अगर आप होम लोन लेकर यह प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं तो इस बात की जानकारी लोन देने वाला बैंक अपने स्तर से खुद ही चेक कर लेता है.

 

पजेशन की तारीख:- दिल्ली-एनसीआर या देश के बड़े शहरों में प्रॉपर्टी खरीदते वक्त आपको पजेशन की तारीख का भी ध्यान रखने की जरूरत है. अब बिल्डर आम तौर पर पजेशन में काफी देर लगा रहे हैं. एक बायर के रूप में आपको पजेशन देने में देरी होने पर मुआवजे की रकम के बारे में एग्रीमेंट में दिए क्लॉज पर ध्यान देना चाहिए.आम तौर पर बिल्डर आपसे छह महीने का ग्रेस पीरियड मांग सकता है, लेकिन उसके लिए भी वैध कारण होना चाहिए.

 

लोन देने वाले बैंक:- आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि उस बिल्डर के प्रोजेक्ट में कौन से बैंक लोन दे रहे हैं. अगर किसी बिल्डर की छवि खराब है तो आम तौर पर बड़े बैंक उसके प्रोजेक्ट में प्रॉपर्टी खरीदने के लिए लोन नहीं देते. आपको प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बारे में सही तरीके से पता करना चाहिए.

 

बिल्डरबायर एग्रीमेंट:- जब आप किसी बिल्डर से फ्लैट खरीदने जाते हैं और आप टोकन अमाउंट देकर फ्लैट बुक करते हैं तो आपको एक अलॉटमेंट लेटर मिलता है. उसके बाद अगर आप बैंक से लोन के लिए आवेदन करते हैं तो एक त्रिपक्षीय समझौता होता है.

 

फ्लैट का लोकेशन:- चूंकि संपत्ति खरीदना लंबी अवधि का निवेश है, इस हिसाब से आपको प्रॉपर्टी के लोकेशन का विशेष ध्यान रखना चाहिए. इलाके में मौजूद सुविधाएं, इन्फ्रास्ट्रक्चर और जरूरी सेवा तक पहुंच कुछ ऐसी चीज है जिसका बहुत ध्यान रखा जाना चाहिए. आप इन सब चीजों पर ध्यान देंगे तो रहने से हिसाब से आपको सुकून मिलेगा.आपका फ्लैट सुरक्षित इलाके में भी होना चाहिए जिससे आप और आपका परिवार सुरक्षित रहे.

 

अतिरिक्त और छुपे हुए चार्ज:- आप प्रॉपर्टी खरीदने से संबंधित सभी चीज ध्यान से देखें. आपके लेट पेमेंट पर कितना जुर्माना लगता है और बिल्डर के लेट पजेशन देने पर कितनी पेनल्टी है, सबका ध्यान रखें. अगर आपको समय पर फ्लैट नहीं मिलता तो बिल्डर हर महीने आपको एक तय रकम पेनाल्टी के रूप में देता है. इसके अलावा स्टांप ड्यूटी, होम लोन की प्रोसेसिंग फीस, रजिस्ट्री कराने का खर्च, समेत बाकी खर्च के बारे में आपको पहले से ही जानकारी ले लेनी चाहिए.